"कल्पवास: गंगा किनारे भक्ति और आस्था का अनूठा अनुभव"

बेगूसराय, बिहार: कार्तिक महीने में बेगूसराय का चमथा गंगा घाट एक आध्यात्मिक स्थल में बदल जाता है, जहां साधु-संत और श्रद्धालु एक महीने तक गंगा किनारे कुटिया बनाकर रहते हैं। यह घाट चार जिलों के संगम स्थल के रूप में जाना जाता है और इसकी मान्यता राजा जनक, उगना महादेव और कविवर विद्यापति से जुड़ी हुई है।

इस पवित्र माह के दौरान, यहां का वातावरण भक्ति मय बना रहता है। साधु-संतों के अनुसार, यह स्थान भगवान शिव का चमत्कार भी है, जहां कविवर विद्यापति को गंगा की धारा ने दर्शन दिया था। पूरे एक महीने तक, श्रद्धालु गंगा की पूजा-अर्चना के साथ-साथ विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान करते हैं, जिससे यहां की छटा निराली हो जाती है।

श्रद्धालुओं का समागम
हर साल हजारों की संख्या में श्रद्धालु और साधु संत चमथा गंगा घाट पर पहुंचते हैं। ननकी बाबा, जो पिछले 45 वर्षों से यहां आते हैं, बताते हैं कि उनका संबंध इस घाट से सदियों पुराना है। वह अपनी कुटिया में भगवान की भक्ति करते हैं और यहां की धार्मिक मान्यताओं को संजोए रखते हैं।

चमथा गंगा घाट का ऐतिहासिक महत्व
ननकी बाबा ने बताया कि जब भगवान भोलेनाथ उगना के रूप में कविवर विद्यापति के यहां रहते थे, तब उन्होंने गंगा स्नान की इच्छा जताई थी। कहा जाता है कि गंगा की धारा स्वयं यहां आई थी, जिससे कविवर ने स्नान किया था। राजा जनक भी इस घाट पर गंगा स्नान किया करते थे, जो इसे और भी महत्वपूर्ण बनाता है।

सुविधाओं की कमी
हालांकि, श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र होने के बावजूद, इस घाट पर सुविधाओं का अभाव है। प्रशासन की अनदेखी से यह स्थल पूरी तरह प्रचलित नहीं हो सका है। तेघरा के एसडीएम राकेश कुमार और डीएसपी डॉक्टर रविंद्र मोहन ने श्रद्धालुओं को आश्वासन दिया है कि सुरक्षा और सुविधाओं का ध्यान रखा जाएगा, खासकर दीपावली के बाद जब यहां भारी भीड़ जुटने की संभावना है।

चमथा गंगा घाट का यह अनूठा अनुभव हर साल श्रद्धालुओं के लिए एक खास स्थान बनाता है, जहां भक्ति और आस्था का अद्भुत मेल देखने को मिलता है।

Review